Mango season :
Mango season : गर्मियों की छुट्टियों में सभी को आम खाना पसंद है। आम खाने के लिए गाँव जाना अब काम हो गया है, क्योंकि शहर में सभी प्रकार के आम उपलब्ध है।
इसलिए आमरस अब शहर में ही बनाया जा रहा है। हालांकि कुछ विक्रेता व्यवसायिक गणित को ध्यान में रखते हुए artificial तरीके से आम उगा रहे हैं और ऐसे artificial तरीके से उगाए हुए आम स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसलिए आम का सेवन करते समय इसकी सुगंध लेना बहुत जरूरी है।
Calcium Carbide का उपयोग करके artificial तरीके से आम उगाए जाते हैं, लेकिन इन artificial आमों का सेवन करने से बचने के लिए घर पर आम उगाना अब संभव हो गया है। बागवानी विशेषज्ञ डॉक्टर भगवानराव कापसे ने कहा है कि, बाजार से या किसानों से कच्चे फल खरीदकर उसे घर पर पेड़ की पत्तियां, गीली घास, सुखी घास या अखबार के कागज पर आम उगाए जा सकते हैं।
घास की धूल के कारण आम खराब हो जाते हैं और इन्हें बचाने के लिए बाजार में फलों को उगाने के लिए इथरेल का उपयोग किया जा सकता है, जिसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में मंजूरी मिल चुकी है। आमों को घास या बाड़े में रखने से पहले प्रति लीटर पानी में डेढ़ मिलीलीटर इथरेल मिलाइए और इस पानी में आमों को पांच से 10 मिनट तक भिगोकर रखें। फिर इन्हें पकने के लिए रख दे। ऐसा करने से आम एक-दो दिन पहले पक जाते हैं। आमों को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें घास-फूस या थैलियों में रखिए।
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कागज में पकाए जा सकते हैं आम
जमीन पर बोर रखकर अकबरी कागज में भी आम को उगाया जा सकता है। जमीन पर अखबारों की तीन-चार परतों को बिछाए। इसके ऊपर आम रखें और फिर से कागज की परतें चढ़ा दे। इन चार-पांच परतों को उसी स्थान पर रखें जहां आम लगे हैं और उन्हें इस तरह से ढक दे की वे चारों तरफ से हवा बंद रहे।
Artificial तरीके से उगाए गए आम हानिकारक होते हैं ।
बाजार में कई फल कृत्रिम रूप से उगाए जाते हैं। इसमें आम की मात्रा सबसे ज्यादा होती है। Food Technologist ने कहा है कि, आम को कृत्रिम रूप से उगाने के लिए खतरनाक रसायन Calcium Carbide का उपयोग किया जाता है। Artificial तरीके से उगाए गए आमों को पाउडर के रूप में खाने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
इस पाउडर को कागज में रखकर उसकी छोटी-छोटी पोटलियां बांधकर फलों में रख दिया जाता है। इससे आम तीन दिन में पीले हो जाते हैं। लेकीन ये आम अंदर से बहुत कुछ पकते नहीं है। नमी के संपर्क में आने पर, calcium carbide से निकलने वाली acetylene gas के कारण फल का हरापन पीला हो जाता है। चूँकि इसमें चीनी नहीं बनती इसलिए फलों में मिठास और सुगंध नहीं आती। बल्कि फलों को सूंघने पर उसमे से तीखी गंध आती है।
आमों में अंतर पहचानो : –
Artificial तरीके से उगाए गए आम
• उंगली से दबाने पर कोई कोमलता नहीं होती है।
• कृत्रिम फल जैसा दिखता है।
• रंग चमकीला पीला होता है।
• छिलके पर दाग पड़ने से फल जल्दी खराब हो जाता हैं।
• तीखी गंध आती है।
• फलों का स्वाद खट्टा होता है।
• छाल दृढ़ महसूस होती है।
प्राकृतिक रूप से उगाए गए आम
• फल अच्छे से पक जाता है।
• पास जाते ही आम चमकने लगता है। पूरे घर में इसकी खुशबू फैल जाती है।
• इसमें ज्यादा चमक नहीं होती है।
• यह छिलके पर दाग लगाए बिना लंबे समय तक अच्छा रह सकता है।
• उंगली से हल्के से दबाने पर भी उंगलियां इसमें धंस जाती हैं, यह मुलायम होता है।
• ऐसा आम रसदार, मीठा और स्वादिष्ट होता है।
• पीले रंग के साथ हल्के हरे रंग का होता है।